
भारत में खेती करने वाले किसानों के लिए खाद का खर्च अक्सर उत्पादन लागत का सबसे बड़ा हिस्सा होता है। इसी वजह से केंद्र सरकार समय-समय पर ऐसे निर्णय लेती है जिससे किसानों की जेब पर बोझ न बढ़े और खेती लाभकारी बनी रहे। हाल ही में सरकार ने किसानों को बड़ी राहत देते हुए डीएपी (डाई-अमोनियम फॉस्फेट) और यूरिया खाद के नए रेट तय किए हैं, जिससे लाखों किसानों को फायदा मिलेगा।
डीएपी और यूरिया की नई कीमतें
डीएपी और यूरिया खेती के लिए सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले उर्वरक हैं। सरकार ने स्पष्ट किया है कि:
- एक बोरी डीएपी किसानों को लगभग 1350 रुपये में उपलब्ध होगी। जबकि बिना सब्सिडी यह कीमत 4000 रुपये से भी ऊपर पहुंच जाती। यानी सरकार प्रति बोरी करीब 2700 रुपये की सब्सिडी दे रही है।
- यूरिया की एक बोरी का दाम 266.50 रुपये रखा गया है। बाजार दर अगर बिना सब्सिडी के देखें तो यह तीन गुना तक ज्यादा हो सकती है। इस अंतर को पूरा करने की जिम्मेदारी सरकार उठा रही है।
सब्सिडी योजना कैसे काम करती है?
डीएपी और यूरिया पर दी जा रही यह मदद राष्ट्रीय खाद सब्सिडी योजना के तहत आती है।
- केंद्र सरकार अंतरराष्ट्रीय बाजार से खाद और कच्चा माल महंगे दामों पर खरीदती है।
- इसके बाद खाद कंपनियों को डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) सिस्टम के जरिए सब्सिडी दी जाती है।
- किसान अपनी नजदीकी सहकारी समितियों या सरकारी बिक्री केंद्रों से खाद निर्धारित दाम पर खरीद सकते हैं।
इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होता है कि देशभर में हर किसान को खाद एक समान दाम पर उपलब्ध हो।
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किसानों को सीधा फायदा
इस बदलाव से किसानों को कई तरह के लाभ होंगे:
- उत्पादन लागत घटेगी। गेहूं, धान, गन्ना, मक्का, दालें और अन्य फसलों में खाद की पर्याप्त मात्रा डाल पाना आसान होगा।
- छोटे और गरीब किसानों को राहत मिलेगी, जो पहले महंगे दामों के कारण पर्याप्त खाद नहीं खरीद पाते थे।
- बेहतर खाद इस्तेमाल करने से फसलें हरी-भरी होंगी और पैदावार बढ़ेगी।
- खेती के अन्य खर्च जैसे मजदूरी, सिंचाई और दवाइयों का दबाव कम किया जा सकेगा।
अंतरराष्ट्रीय बाजार और सरकार की भूमिका
भारत में इस्तेमाल होने वाली डीएपी का एक बड़ा हिस्सा आयात किया जाता है। डॉलर की कीमत और कच्चे माल महंगे होने से भारत में भी इसका असर देखने को मिलता है। लेकिन इसके बावजूद केंद्र सरकार हर साल हजारों करोड़ रुपये की सब्सिडी पर खर्च करती है। वर्ष 2025 में ही सरकार ने खाद सब्सिडी पर कई लाख करोड़ रुपये का बजट रखा है ताकि खेती महंगाई से प्रभावित न हो और किसानों की आमदनी सुरक्षित रहे।
किसानों के लिए जरूरी बातें
- डीएपी और यूरिया केवल सरकारी मान्यता प्राप्त डीलरों, सहकारी समितियों या पंचायत स्तर के बिक्री केंद्रों से ही खरीदें।
- खाद खरीदने के लिए किसानों को अपना आधार कार्ड या किसान पहचान पत्र दिखाना होगा।
- ऐसा करने से उन्हें सही दाम पर असली खाद मिलेगी और कालाबाजारी से आसानी से बचा जा सकेगा।